भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान ने एक बार फिर से चीन के साथ संबंधों पर चर्चा को हवा दी है। जयशंकर की टिप्पणियों में माओ त्से तुंग की “5 उंगलियों” की बात ने सबका ध्यान आकर्षित किया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह बयान चीन की विस्तारवादी नीतियों की ओर इशारा कर रहा है।
माओ की 5 उंगलियां
माओ त्से तुंग के “5 उंगलियों” का संदर्भ चीन के उन क्षेत्रों की ओर संकेत करता है, जिन्हें वह अपना मानता है। ये “उंगलियां” तिब्बत, शिंजियांग, मंगोलिया, हांगकांग और ताइवान को दर्शाती हैं। माओ का यह सिद्धांत चीन की सामरिक और राजनीतिक दृष्टि को स्पष्ट करता है, जिसमें वह अपने प्रभाव क्षेत्र को विस्तारित करने की कोशिश करता है।
जयशंकर का संदर्भ
जयशंकर ने हाल ही में एक भाषण में कहा कि चीन की हरकतें वैश्विक व्यवस्था के लिए एक चुनौती हैं। उनके इस बयान ने उन सच्चाइयों को उजागर किया है, जो चीन की विस्तारवादी नीतियों के पीछे छिपी हुई हैं। जयशंकर का यह संदर्भ सीधे तौर पर चीन की दीर्घकालिक योजनाओं और उनके द्वारा क्षेत्रीय संप्रभुता को चुनौती देने के प्रयासों की ओर इशारा करता है।
भारत-चीन संबंधों में तनाव
जयशंकर का बयान इस बात का भी संकेत है कि भारत और चीन के संबंधों में तनाव अभी भी बरकरार है। सीमा विवाद और व्यापारिक मतभेदों के चलते दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इस संदर्भ में, जयशंकर की टिप्पणियों ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी प्रकार की स्थिति को हल्के में नहीं ले रहा है और वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।