नई दिल्ली: आगामी त्योहारों के मौसम में खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी न हो, इसके लिए केंद्र सरकार ने पहले से ही खास इंतजाम कर लिए हैं। देशभर में दीपावली, दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों के दौरान खाद्य वस्तुओं की बढ़ती मांग को देखते हुए, सरकार ने सुनिश्चित किया है कि खाने के तेल की कीमतें स्थिर रहें और आम जनता को राहत मिले।
आयात शुल्क में कटौती
सरकार ने खाद्य तेलों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए आयात शुल्क में कटौती की है। इसका उद्देश्य है कि सोयाबीन, पाम ऑयल और सूरजमुखी के तेल जैसे प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतें बाजार में न बढ़ें और त्योहारों के दौरान स्थिर रहें। आयात शुल्क कम करने से तेल की आपूर्ति सुचारू रूप से बनी रहेगी और घरेलू बाजार में कीमतों पर दबाव कम होगा।
स्टॉक की निगरानी
केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर खाद्य तेलों के स्टॉक की निगरानी भी तेज कर दी है। इसके तहत, तेल के थोक विक्रेताओं और रिटेलरों पर कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि तेल की कृत्रिम कमी न हो और जमाखोरी पर रोक लगाई जा सके।
जमाखोरी पर सख्ती
सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। सभी राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जमाखोरी के मामलों पर सख्त कार्रवाई करें और नियमित रूप से बाजार की स्थिति की समीक्षा करें। इसका उद्देश्य है कि बाजार में तेल की आपूर्ति निरंतर बनी रहे और किसी प्रकार की काला बाजारी न हो।
उत्पादन में वृद्धि
देश के भीतर भी खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं। इससे घरेलू स्तर पर खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी और कीमतों पर नियंत्रण रहेगा।
त्योहारों के दौरान राहत
इन सभी उपायों के चलते उम्मीद की जा रही है कि इस साल त्योहारों के मौसम में खाने के तेल की कीमतों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होगी। इससे आम लोगों को राहत मिलेगी और वे बिना किसी चिंता के त्योहारों का आनंद ले सकेंगे।
उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद
सरकार के इन कदमों से न केवल कीमतों पर नियंत्रण रहेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी त्योहारों के मौसम में सस्ता और सुलभ खाद्य तेल मिलेगा। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आम जनता के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा और उन्हें त्योहारों में महंगाई की मार से बचाया जा सकेगा।