“रजाकार हिंसा क्या थी, जिसमें खरगे ने मां-चाची-बहन को खोया; 76 साल पुरानी घटना फिर क्यों चर्चा में?“
रजाकार हिंसा 1947 में हुए विभाजन के समय की एक दर्दनाक घटना थी, जब हैदराबाद राज्य में निजाम सरकार के समर्थकों (रजाकारों) और भारतीय राष्ट्रीय सेना के बीच हिंसक संघर्ष हुआ। रजाकारों ने भारतीय संघ में शामिल होने के खिलाफ संघर्ष किया था और यह संघर्ष काफी खून-खराबे का कारण बना था। रजाकारों की क्रूरता से कई निर्दोष नागरिकों की जान गई, खासकर महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया गया।
यह घटना फिर से चर्चा में तब आई, जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में इस हिंसा को लेकर अपनी व्यक्तिगत त्रासदी का उल्लेख किया। खरगे ने बताया कि इस हिंसा के दौरान उन्होंने अपनी मां, चाची और बहन को खो दिया था, और यह घटना उनके जीवन के सबसे काले दिनों में से एक थी।
76 साल बाद, यह हिंसा फिर से राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख रूप से चर्चा में आ रही है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल और नेता इस मुद्दे को फिर से सामने ला रहे हैं, ताकि विभाजन की त्रासदी और उसके प्रभावों पर चर्चा हो सके। साथ ही, यह घटना हैदराबाद के भारतीय संघ में विलय के समय के इतिहास से जुड़ी हुई है, जो अब एक महत्वपूर्ण राजनीतिक विषय बन गया है।
खरगे का इस हिंसा का जिक्र करना, इस इतिहास को याद करना और उस समय के मानवाधिकार उल्लंघनों को उजागर करना एक बार फिर से इस घटना को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बना रहा है।