सावधान! सोशल मीडिया की लत से हो सकता है मानसिक नुकसान, ‘ब्रेन रोट’ पर बढ़ी चिंता

“ब्रेन रोट: सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल मस्तिष्क के लिए खतरा, विशेषज्ञ चिंतित”

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने वर्ष 2024 के लिए ‘ब्रेन रोट’ शब्द को वर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया है। इस शब्द को शॉर्टलिस्ट किए गए छह शब्दों में से 37,000 से अधिक वोट मिले। ‘ब्रेन रोट’ शब्द सोशल मीडिया पर अत्यधिक मात्रा में मौजूद निम्न स्तरीय कंटेंट के दुष्प्रभावों और इसके मस्तिष्क पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को दर्शाता है।

विशेषज्ञ लंबे समय से मोबाइल और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग को लेकर चिंता जता रहे हैं। खासकर कोरोना महामारी के बाद सोशल मीडिया का इस्तेमाल कई गुना बढ़ गया है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सोशल मीडिया पर बढ़ते ‘हल्के स्तर’ के कंटेंट से सभी आयु वर्ग के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

मानसिक स्वास्थ्य पर असर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, आजकल बच्चे और वयस्क दिन का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल स्क्रॉल करने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बिताते हैं। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, जैसे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी, तनाव, और नींद की समस्याएं।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने बताया कि साल 2023 से 2024 के बीच निम्न स्तरीय कंटेंट में 230 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस ट्रेंड ने ‘ब्रेन रोट’ शब्द को वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया है।

क्या है ‘ब्रेन रोट’?
‘ब्रेन रोट’ शब्द का मतलब है मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर सोशल मीडिया के अत्यधिक और दोयम दर्जे के कंटेंट के कारण होने वाला नकारात्मक असर। यह लगातार डिजिटल स्क्रॉलिंग और ध्यान भटकाने वाले कंटेंट के कारण होता है, जिससे व्यक्ति की सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इसके समाधान के लिए डिजिटल डिटॉक्स, स्क्रीन समय में कमी और संतुलित दिनचर्या अपनाना बेहद जरूरी है।


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