“मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का दिया आदेश“
SHABD, कोलकाता, 13 अप्रैल 2025:
कलकत्ता हाई कोर्ट की एक विशेष डिवीजन बेंच ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा को गंभीर मानते हुए वहां केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तत्काल तैनाती का आदेश दिया है। अदालत ने यह निर्णय वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की सांप्रदायिक अशांति की पृष्ठभूमि में लिया।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि समय रहते आवश्यक सुरक्षा उपाय किए गए होते, तो हालात इतने अस्थिर नहीं होते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “जब नागरिकों की सुरक्षा खतरे में हो, तो संवैधानिक अदालत मूकदर्शक नहीं बन सकती।” न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं को अपर्याप्त बताया और स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए।
विपक्ष का आरोप – राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था
भाजपा नेता और बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए दावा किया कि मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान इलाके से 400 से अधिक हिंदू परिवारों को पलायन कर मालदा जिले में अस्थायी रूप से शरण लेनी पड़ी। उन्होंने सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए कहा कि “धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं।”
भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने भी राज्य की स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि “बंगाल में हालात 1947 जैसी हिंसा की ओर बढ़ रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि राज्य में सांप्रदायिक तनाव के चलते हिंदू समुदाय में डर और असुरक्षा का माहौल है।
सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप
भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार की कथित तुष्टिकरण नीति ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है। सुवेंदु अधिकारी ने मांग की है कि विस्थापित परिवारों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए और उनके लिए पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।
कोर्ट ने क्या कहा?
कलकत्ता हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने कहा कि:
- राज्य सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं थे।
- पहले CAPF तैनात की जाती, तो हालात नियंत्रण में रह सकते थे।
- निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह तकनीकी आपत्तियों में उलझे बिना नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करेगा। यह आदेश नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया।
मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का दिया आदेश
SHABD, कोलकाता, 13 अप्रैल 2025:
कलकत्ता हाई कोर्ट की एक विशेष डिवीजन बेंच ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा को गंभीर मानते हुए वहां केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तत्काल तैनाती का आदेश दिया है। अदालत ने यह निर्णय वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की सांप्रदायिक अशांति की पृष्ठभूमि में लिया।
हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि समय रहते आवश्यक सुरक्षा उपाय किए गए होते, तो हालात इतने अस्थिर नहीं होते। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “जब नागरिकों की सुरक्षा खतरे में हो, तो संवैधानिक अदालत मूकदर्शक नहीं बन सकती।” न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं को अपर्याप्त बताया और स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए।
विपक्ष का आरोप – राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था
भाजपा नेता और बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए दावा किया कि मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान इलाके से 400 से अधिक हिंदू परिवारों को पलायन कर मालदा जिले में अस्थायी रूप से शरण लेनी पड़ी। उन्होंने सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए कहा कि “धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं।”
भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने भी राज्य की स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि “बंगाल में हालात 1947 जैसी हिंसा की ओर बढ़ रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि राज्य में सांप्रदायिक तनाव के चलते हिंदू समुदाय में डर और असुरक्षा का माहौल है।
सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप
भाजपा नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार की कथित तुष्टिकरण नीति ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है। सुवेंदु अधिकारी ने मांग की है कि विस्थापित परिवारों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जाए और उनके लिए पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जाए।
कोर्ट ने क्या कहा?
कलकत्ता हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने कहा कि:
- राज्य सरकार द्वारा किए गए सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं थे।
- पहले CAPF तैनात की जाती, तो हालात नियंत्रण में रह सकते थे।
- निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह तकनीकी आपत्तियों में उलझे बिना नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करेगा। यह आदेश नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किया गया।