“क्या आपका प्रॉविडेंट फंड (PF) अकाउंट है? जानिए रिटायरमेंट पर मिलने वाली पेंशन का पूरा गणित“
अगर आप कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के सदस्य हैं, तो रिटायरमेंट के समय आपको सिर्फ फंड नहीं बल्कि पेंशन का लाभ भी मिलता है। यह पेंशन एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम (EPS) के तहत दी जाती है। आइए जानते हैं कि यह पेंशन कैसे तय होती है और कितनी रकम आपको मिलेगी।
EPF और EPS का कनेक्शन
- EPF में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं।
- नियोक्ता द्वारा कुल योगदान का 8.33% हिस्सा EPS (Employees’ Pension Scheme) में जाता है।
- EPS का उद्देश्य कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन देना है।
पेंशन की पात्रता
- कम से कम 10 साल तक EPF/EPS का सदस्य रहना जरूरी है।
- रिटायरमेंट की उम्र 58 साल पूरी होनी चाहिए।
- 50 से 58 साल की उम्र में भी पेंशन ली जा सकती है, लेकिन इसमें रकम कम होती है।
पेंशन का हिसाब
पेंशन की गणना एक तय फॉर्मूले से होती है:
पेंशन = (पेंशन योग्य सैलरी x सर्विस की अवधि) ÷ 70
- पेंशन योग्य सैलरी: पिछले 60 महीनों की औसत बेसिक सैलरी और डीए।
- सर्विस की अवधि: कर्मचारी के EPS सदस्यता की कुल अवधि।
उदाहरण:
मान लीजिए:
- पेंशन योग्य सैलरी = ₹15,000 (अधिकतम सीमा)
- सर्विस की अवधि = 20 साल
तो पेंशन होगी:
(15,000 x 20) ÷ 70 = ₹4,285 प्रति माह
कम पेंशन क्यों?
- EPS में पेंशन योग्य सैलरी की अधिकतम सीमा ₹15,000 है।
- भले ही आपकी सैलरी इससे ज्यादा हो, पेंशन इसी सीमा पर आधारित होती है।
पेंशन बढ़ाने का विकल्प
- हायर पेंशन स्कीम: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्मचारी अपने वास्तविक वेतन के हिसाब से हायर पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं।
- इसके लिए EPS में अतिरिक्त योगदान करना होगा।
निष्कर्ष
यदि आपका EPF अकाउंट है और आपने 10 साल से ज्यादा की सेवा पूरी की है, तो रिटायरमेंट पर आपको EPS के तहत पेंशन जरूर मिलेगी। हालांकि, यह पेंशन आपके सैलरी के हिसाब से सीमित हो सकती है, लेकिन हायर पेंशन का विकल्प इसे बढ़ा सकता है।
तो, अब आप पेंशन की गणना का सही हिसाब जान गए हैं।